वास्तु शास्त्र क्या है ? – ( Vastu Shashtra )
वास्तु शास्त्र एक संस्कृत शब्द है, जिसका हिंदी अनुवाद “वास्तुकला का विज्ञान” है। (Vastu Shashtra) वास्तु एक प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक कला है जो माकन, ऑफिस, मंदिर या किसी भी प्रकार का भवन बनाने में मदद करता हैं। वास्तुकला एक प्राकृतिक विज्ञान है जो प्राकृतिक तत्वों, और ऊर्जा क्षेत्रों के लाभों का उपयोग करके जीवन और काम ( नौकरी , धंधा, इत्यादि ) के लिए एक सुहावने माहौल या एक स्थान बनाने में मदद करता है। इससे धन, स्वास्थ्य, समृद्धि, और खुशी के लाभों को बढ़ावा मिलता है।
वास्तुशास्त्र की रचना किसने की?
वस्तु शब्द से वास्तु बना है. भगवान विश्वकर्मा जी को वास्तु शास्त्र का जनक माना जाता है। मत्स्य पुराण में वास्तु के सत्रह उपदेशकों का भी उल्लेख किया गया है। वे भृगु, अत्रि, वशिष्ठ, वासुदेव, अनिरुद्ध, विश्वकर्मा, माया, नारद, नग्नजीत, ब्रह्मा, कुमारस्वामी, नंदिसा, शौनक, भार्गव, विशालाक्ष, पुरंदर, शुक्र और बृहस्पति हैं ।
वास्तु कैसे काम करता है ?
वास्तु कैसे काम करता है, यह समझाने के लिए हमें यह समझना आवश्यक है कि वास्तु शास्त्र कैसे ग्रहों, दिशाओं और प्राकृतिक तत्वों के साथ हमारे आस-पास के वातावरण को संतुलित रखने का प्रयास करता है।
दिशा और स्थान: वास्तु शास्त्र में मुख्य धारा यह है कि आपके घर या कार्यस्थल का सही स्थान और दिशा होना चाहिए। सही स्थान चयन से, पूरे स्थल को सकारात्मक ऊर्जा से भरा जा सकता है। उसके उपरांत आप कोनसा कार्य किस दिशा में मुख रख कर कररहे हैं ये भी देखना होता हैं। जैसे सोते समय सर किस दिशा में होना चाहिए। पूजा के समय मुख किस दिशा में होना चाहिए इत्यादि ।
पाँच तत्वों का संतुलन: वास्तु में पाँच महत्वपूर्ण तत्व हैं – पृथ्वी, आकाश, वायु, जल, और अग्नि। इन तत्वों को सही स्थान पर रखकर और संतुलित करके आप अपने आस-पास के माहौल को प्रेरित कर सकते हैं। अगर अग्नि वाले क्षेत्र में पानी वाला स्थान रखा है तो मुसीबते जरूर आनी हैं ।
ग्रह और नक्षत्रों का प्रभाव: वास्तु में ग्रहों और नक्षत्रों के स्थान का विशेष महत्व है। इनके सही स्थान पर होने से आपके जीवन में स्थिति में सुधार हो सकता है।
ऊर्जा का प्रबंधन: वास्तु शास्त्र का मुख्य उद्देश्य यह है कि यह सुनिश्चित करे कि स्थान पर पूर्ण ऊर्जा संतुलन हो। यह आपके आत्मविश्वास और कार्य क्षमता को बढ़ा सकता है। जिस स्थान की ऊर्जा काम होती है वहा पे वास्तु उपाय करके उसे संतुलित किया जा सकता हैं ।
वास्तु सुझाव: वास्तु शास्त्र में विशेषज्ञ सुझाव देने का कारण है, जिससे आप अपने घर या कार्यस्थल को और भी सकारात्मक बना सकते हैं। अपनी परेशानिओ के हिसाब से आप घर के अलग अलग स्थान को वास्तु सुझाव से उर्जित कर सकते हैं ।
समग्र रूप से, वास्तु शास्त्र का उद्देश्य है स्थान को एक स्थिर और सकारात्मक ऊर्जा से भरना, जिससे व्यक्ति को सुख, संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति हो।
सही वास्तु न होने पर क्या समस्याए आती हैं ?
यदि वास्तु शास्त्र का उपयोग सही नहीं किया जाता है या स्थान की वास्तु गलत होती है, तो व्यक्ति कई सारी समस्याओं का सामना कर सकता है। यहां विस्तार से हिंदी में बताया गया है:
स्वास्थ्य समस्याएं: विपरीत वास्तु की वजह से आत्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव हो सकता है। अगर किसी की नींद की दिशा गलत है तो वह अच्छे से नहीं सो पाता और सुस्त रहता है। वास्तु की सलाह के विपरीत , अगर प्रॉपर्टी में कोई ऐसा स्थान या वास्तु है जो शांति और सुरक्षा की भावना को हानि पहुंचाता है, तो इससे मानसिक तनाव और चिंता हो सकती है। कैंसर, हार्ट अटैक , पाचन से जुडी समस्या इत्यादि का सामना करना पड़ता है ।
व्यापारिक समस्याएं: बिज़नेस या कार्य स्थल में गलत वास्तु व्यवस्था से कर्मचारियों का उत्साह और कार्य प्रदर्शन पर असर हो सकता है, जिससे आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बिज़नेस के स्थान का चयन और उसकी दिशा का महत्वपूर्ण होता है। अगर किसी बिज़नेस का स्थान अशुभ दिशा में है तो उसका असफल होने की संभावना बढ़ जाती हैं । बुरे वास्तु के कारण व्यापार में नुकसान, कर्मचारी की असन्तुलन और व्यापारिक गतिविधियों में असफलता हो सकती है।
परिवार में संबंध समस्याएं: गलत वास्तु के कारण परिवार के सदस्यों के बीच में मिलनसर नहीं रह पाता, जिससे परिवार में आपसी संबंधों में कठिनाईयाँ आ सकती हैं। वास्तु दोष से पिता पुत्र , हस्बैंड वाइफ , बिजिनेस पार्टनर्स , या मित्रो के साथ रिश्ते बिगड़ सकते हैं।
आर्थिक समस्याएं: गलत वास्तु व्यवस्था से आर्थिक स्थिति में कमी आ सकती है, क्योंकि धन का सही दिशा में संग्रहण करना महत्वपूर्ण है। सायद मौके बहुत मिलते है कुछ अच्छे कारणों से पर सफलता हाथ नहीं लगती। या फिर धन घर में आता तो है पर टिकता नहीं है और किसी ना किसी वजह से धन का व्यय हो जाता हैं। कर्ज़ों में भी वृद्धि होती हैं।
विद्यार्थी और करियर में समस्याएं: यदि किसी व्यक्ति के अध्ययन या करियर क्षेत्र का सही दिशा में स्थान नहीं है, तो उसे अध्ययन और प्रोफेशनल विकास में बाधा हो सकती है। दिमाग तेज होता है पर कुछ याद नहीं रहता । या फिर ध्यान किसी और दिशा में भटकने लगता हैं। गलत सांगते हो जाती है और समय का सदुपयोग नहीं कर पाते ।
मानसिक तनाव और अवसंरचना: गलत वास्तु से व्यक्ति को मानसिक तनाव और अवसंरचना की समस्याएं हो सकती हैं, जिससे उसका जीवन सामान्यत: नहीं चलता है। सब सुख सुविधा होने के बावजूद भी मन शांत नहीं रहता। कुछ लोग चिड़चिड़े रहते हैं।
सही वास्तु अनुष्ठान और उचित वास्तु सुझावों के माध्यम से यह संभावना है कि व्यक्ति अपने जीवन को सुधार सकता है और सकारात्मक ऊर्जा को अपने आस-पास बनाए रख सकता है। वास्तु सही करने के साथ साथ आपकी जन्म कुंडली के हिसाब से कुछ विधिया करनी होती हैं। क्योंकि गलत या सही वास्तु हर किसी को एक जैसा परिणाम नहीं देता।
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Vastu purush image credit @ Verena Rapp de Eston, CC BY-SA 4.0, via Wikimedia Commons